महंगी रसोई का खौफ
देश में पिछले महीने थोक महंगाई दर 4.17 फीसदी बढ़ी, जो बीते 27 महीनों में सबसे ज्यादा है। थोक महंगाई जैसा ही ट्रेंड खुदरा महंगाई में भी दिख रहा है, जो फरवरी में बढ़कर 5 फीसदी से ऊपर पहुंच गई। यह भी पिछले तीन महीने का शिखर है। महंगाई के आंकड़े वाणिज्य मंत्रालय जारी करता है। उसका कहना है कि इसका एक कारण अनाज के दाम में बढ़ोतरी है। इसके साथ ही पेट्रोल-डीजल और गैस के दाम भी काफी ऊंचे स्तर पर बने हुए हैं, जो माल ढुलाई की लागत को प्रभावित करते हैं। इससे ज्यादातर वस्तुओं के दाम बढ़ जाने का डर रहता है। अच्छी बात यह है कि सब्जियां फरवरी में सस्ती रहीं, लेकिन यह राहत भी अस्थायी है क्योंकि आगे सब्जियों की महंगाई का सीजन आ रहा है। बुरी बात यह है कि अगले कुछ महीने अनाज और पेट्रो पदार्थों के दाम कम होने की सूरत नहीं नजर आ रही। पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से ये कुछ सस्ते हो सकते थे, लेकिन इस मामले में केंद्र ने गेंद राज्यों के पाले में डाल दी है। राज्य जो जीएसटी लागू होने से अपनी आमदनी का बड़ा जरिया पहले ही गंवा चुके हैं और टैक्स के इस सबसे बड़े स्रोत की कुर्बानी देने के मूड में नहीं हैं। रही बात अनाज की कीमतों की तो इस साल इनपर उस कृषि कानून का भी असर पड़ सकता है, जिसमें जमाखोरी को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया गया है।