चाहे व्रत-त्योहार मनाने का उत्साह हो या बाजारों में खरीदारी करने की जरूरत, आम लोग मास्क पहनने और आपस में सुरक्षित दूरी बनाए रखने जैसी सावधानियों को लेकर अधिकाधिक लापरवाह होते दिखे हैं। इन सबका मिला-जुला नतीजा यह हुआ कि राजधानी दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों में कोरोना के नए मामलों में अचानक ऐसी तेजी आई कि महामारी की दूसरी लहर शुरू होने की आशंका प्रबल हो गई। अमेरिका और यूरोप में ऐसा हो रहा है, भारत में भी हो सकता है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आगाह किया कि कोरोना की यह दूसरी लहर सूनामी साबित हो सकती है।
यही वक्त है जब सरकारों को ज्यादा ठोस ढंग से लोगों में यह बात बिठा देनी चाहिए कि इस मोड़ पर उनकी जरा सी लापरवाही अब तक के सारे किए-कराए पर पानी फेर सकती है। यह बात पहले से कही जा रही है कि चूंकि यह वायरस जाड़ों में ही आया था इसलिए सर्दी का मौसम इसके ज्यादा अनुकूल साबित हो सकता है। भारत में अभी स्थितियां ऐसी हैं कि लोग अपनी आवाजाही कम करके खुद को सार्स कोव-2 के संपर्क में आने से बचा सकें। कम से कम जाड़े भर अपने परिवार को सहेज कर रखने का मन बनाएं। सामने खड़ी बीमारी की नई लहर को सामूहिक प्रयासों के जरिये कुंद किया जा सकता है।
जरूरत लोगों को यह समझाने की भी है कि वैक्सीन आ जाने की बात से उतावले न हों। प्रयोगशाला से निकलकर इसका मास प्रॉडक्शन शुरू हो जाए और व्यवहार में यह पर्याप्त प्रभावी साबित हो, तब भी पूरी आबादी तक इसे पहुंचाने में वक्त लगेगा और जब तक ऐसा नहीं होता तब तक कोरोना संक्रमण का खतरा खत्म नहीं होगा। इसलिए जीवन शैली में जो बदलाव पिछले आठ महीनों में आ चुके हैं, उन्हें बनाए रखें। साथ में महीने-दो महीने उस खौफ को दोबारा दिल में जगह दें, जो इधर अचानक निकल गया है।