ध्यान रहे, सहमति के इन पांच बिंदुओं में यह बात कहीं नहीं आई है कि दोनों सेनाएं अप्रैल से पहले की स्थिति में वापस जाएं। आखिर तनाव की जड़ में तो यथास्थिति में आए हाल के बदलाव ही हैं। बाकी जो मतभेद हैं वे पहले से हैं और उन पर पहले जैसा रवैया चल सकता है। लेकिन नई उलझनों को सुलझाए बगैर विवादों का यह दौर खत्म होने की दिशा में नहीं बढ़ेगा। शायद उसी तरफ संकेत करते हुए भारत ने कहा है कि कौन सी सेना कितना पीछे हटेगी और उसकी प्रक्रिया क्या होगी, इसका फैसला सैन्य कमांडरों की बातचीत में होगा। बहरहाल, मसला चाहे जितना भी जटिल हो, उसे सुलझाने का उपाय बातचीत से ही निकलना है। इस लिहाज से सबसे अच्छी बात यही है कि दोनों पक्षों ने हर स्तर पर बातचीत जारी रखने का इरादा जताया है।
भारत और चीन के बीच सहमति के बिंदु
मॉस्को में गुरुवार देर रात चीनी और भारतीय विदेश मंत्रियों की मुलाकात ने निश्चित रूप से सहमति के कुछ ऐसे बिंदु रेखांकित किए जिनके आधार पर आगे बढ़कर दोनों देश सीमा पर जारी तनाव को कम कर सकते हैं। बातचीत के बाद दोनों ओर से जारी संयुक्त बयान में ऐसे पांच बिंदु बताए गए हैं जिनका समेकित तात्पर्य यह है कि मतभेदों को विवाद न बनने दिया जाए, दोनों पक्षों की सेनाएं एक-दूसरे से दूर हो जाएं और सुरक्षित दूरी बनाए रखें, भारत-चीन सीमा से जुड़े सारे समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन किया जाए, स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव मैकेनिज्म व अन्य तरीकों से दोनों पक्ष संवाद तथा बातचीत बनाए रखें और जब माहौल शांत हो जाए तब दोनों पक्ष आपसी विश्वास कायम करने के नए उपायों पर तेजी से काम करें।