Tulsidas Jayanti 2020: आज 27 जुलाई को तुलसीदास जयंती है। हर साल उनकी जयंती श्रावण शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन मनाई जाती है। तुलसीदास ने ही भगवान श्रीराम के जीवन को रामचरित मानस में दर्शाया है। तुलसीदास ने अपनी रचनाओं को आम जन तक पहुंचाने के लिए उन्हीं की भाषा का प्रयोग किया है। 1554 में जन्म लेने वाले तुलसी भारत के सर्वश्रेष्ठ कवियों में एक हैं।
उनका जन्म उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के छोटे से गांव राजापुर में आत्माराम दूबे और हुलसी के घर हुआ था। उनको लेकर ऐसा कहा जाता है कि वे बचपन में रोए नहीं थे। बल्कि भगवान श्रीराम का नाम ले रहे थे। तुलसीदास का बचपन भी बेहद अभावों में बीता था। उन्होंने रामचरित मानस के साथ-साथ हनुमान चालीसा, कवितावली, गीतावली, विनयपत्रिका, जानकी मंगल और बरवै रामायण जैसे कुल 12 ग्रंथों की रचना की है।
आज भी उनके दोहे जन जन की वाणी में गुनगुनाए जाते हैं। आइए जानते हैं तुलसीदासजी के दोहे के बारे में जिसे पढ़ने से आपके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे और आपके अंदर से ईर्ष्या की भावना खत्म हो जाएगी।
तुलसी साथी विपत्ति के विद्या विनय विवेक ।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसे एक ।
अर्थ- गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं, विपत्ति के समय में आपको घबराकर हार नहीं माननी चाहिए। ऐसी स्थिति में आपको अपने अच्छे कर्म, सही विवेक और बुद्धि से काम लेना चाहिए। मुश्किल समय में साहस और अच्छे कर्म ही आपका साथ देते हैं।
राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरीं द्वार।
तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर।
अर्थ- तुलसीदास जी कहते है अगर आप अपने चारों तरफ खुशहाली चाहते हैं तो अपने वाणी पर काबू रखें। गलत शब्द बोलने की जगह राम नाम जपते रहिए इससे आप भी खुश रहेंगे और आपके घरवाले भी खुश रहेंगे।
नामु राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु।
जो सिमरत भयो भाँग ते तुलसी तुलसीदास।
अर्थ- राम का नाम लेने से आपका मन साफ रहता है। किसी भी काम को करने से पहले राम का नाम लीजिए। तुलसीदास जी भी राम का नाम लेते-लेते अपने आप को तुलसी के पौधे जैसा पवित्र मानने लगे थे।
तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर।
सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि।
अर्थ-तुलसी दास जी कहते हैं सुंदर रूप देखकर न सिर्फ मूर्ख बल्कि चतुर इंसान भी धोखा खा जाते हैं। जैसे मोर दिखने में बहुत सुंदर लगते हैं लेकिन उनका भोजन सांप है।
Tulsidas Jayanti 2020: आज 27 जुलाई को तुलसीदास जयंती है। हर साल उनकी जयंती श्रावण शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन मनाई जाती है। तुलसीदास ने ही भगवान श्रीराम के जीवन को रामचरित मानस में दर्शाया है। तुलसीदास ने अपनी रचनाओं को आम जन तक पहुंचाने के लिए उन्हीं की भाषा का प्रयोग किया है। 1554 में जन्म लेने वाले तुलसी भारत के सर्वश्रेष्ठ कवियों में एक हैं।
उनका जन्म उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के छोटे से गांव राजापुर में आत्माराम दूबे और हुलसी के घर हुआ था। उनको लेकर ऐसा कहा जाता है कि वे बचपन में रोए नहीं थे। बल्कि भगवान श्रीराम का नाम ले रहे थे। तुलसीदास का बचपन भी बेहद अभावों में बीता था। उन्होंने रामचरित मानस के साथ-साथ हनुमान चालीसा, कवितावली, गीतावली, विनयपत्रिका, जानकी मंगल और बरवै रामायण जैसे कुल 12 ग्रंथों की रचना की है।
आज भी उनके दोहे जन जन की वाणी में गुनगुनाए जाते हैं। आइए जानते हैं तुलसीदासजी के दोहे के बारे में जिसे पढ़ने से आपके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे और आपके अंदर से ईर्ष्या की भावना खत्म हो जाएगी।
गोस्वामी तुलसीदास
तुलसी साथी विपत्ति के विद्या विनय विवेक ।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसे एक ।
अर्थ- गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं, विपत्ति के समय में आपको घबराकर हार नहीं माननी चाहिए। ऐसी स्थिति में आपको अपने अच्छे कर्म, सही विवेक और बुद्धि से काम लेना चाहिए। मुश्किल समय में साहस और अच्छे कर्म ही आपका साथ देते हैं।
राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरीं द्वार।
तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर।
अर्थ- तुलसीदास जी कहते है अगर आप अपने चारों तरफ खुशहाली चाहते हैं तो अपने वाणी पर काबू रखें। गलत शब्द बोलने की जगह राम नाम जपते रहिए इससे आप भी खुश रहेंगे और आपके घरवाले भी खुश रहेंगे।
गोस्वामी तुलसीदास
नामु राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु।
जो सिमरत भयो भाँग ते तुलसी तुलसीदास।
अर्थ- राम का नाम लेने से आपका मन साफ रहता है। किसी भी काम को करने से पहले राम का नाम लीजिए। तुलसीदास जी भी राम का नाम लेते-लेते अपने आप को तुलसी के पौधे जैसा पवित्र मानने लगे थे।
तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर।
सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि।
अर्थ-तुलसी दास जी कहते हैं सुंदर रूप देखकर न सिर्फ मूर्ख बल्कि चतुर इंसान भी धोखा खा जाते हैं। जैसे मोर दिखने में बहुत सुंदर लगते हैं लेकिन उनका भोजन सांप है।