कहानी: एक लड़की है किजी बसु (
रिव्यू: अगर आप सुशांत के फैन हैं तो बहुत रो चुके उनको को याद करके, यह फिल्म आपको सुशांत के लिए हंसना सिखाएगी। सुशांत को देखकर आपका मन खुश हो जाएगा। मैनी के रोल में शायद सुशांत से बेहतर कोई हो ही नहीं सकता था। सुशांत का पहला सीन निश्चित तौर पर फैन्स को इमोशनल कर जाएगा। मैनी एक मस्तमौला लड़का है जिसे किसी का फर्क नहीं पड़ता है। सुशांत को हमने तब खोया है शायद जब वो अपने बेस्ट पर थे। उनकी ऐक्टिंग और कॉमिक टाइमिंग गजब की है। सुशांत के फेशल एक्सप्रेशन और डायलॉग डिलिवरी, वॉइस मॉड्यूलेशन सब गजब का है। अपनी पहली ही फिल्म में संजना सांघी ने इतनी अच्छी परफॉर्मेंस दी है कि कहीं से भी नहीं लगता है कि यह उनकी डेब्यू फिल्म है। किजी की ऐंग्री यंग वुमन मां के किरदार में स्वास्तिका मुखर्जी छा गई हैं। एक ऐसी मां जो हर समय अपनी कैंसर से जूझती लड़की का ख्याल रखती है। किजी के पिता के रोल में साश्वता चटर्जी बेहतरीन हैं जो एक बिंदास बाप का किरदार निभा रहे हैं। वह अपनी बेटी की स्थिति समझते हुए भी उसे हर खुशी देते हैं और उनकी आंखों में अपनी बेटी के लिए दुख भी दिखाई देता है। पैरिस में अभिमन्यु के तौर पर मिलते हैं सैफ अली खान जो एकदम बदतमीज और अक्खड़ आदमी है। 2 मिनट के रोल में सैफ अली खान छाप छोड़कर जाते हैं।
फिल्म के गाने ‘दिल बेचारा’, ‘मेरा नाम किजी’, ‘तुम ना हुए मेरे तो क्या’ और ‘खुल कर जीने का तरीका’ बेहतरीन बन पड़े है। फिल्म का म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर एआर रहमान ने बेहद खूबसूरत दिया है। फिल्म के गाने पहले ही हिट हो चुके हैं। मुकेश छाबड़ा की डायरेक्टर के तौर पर यह पहली फिल्म है। उनका डायरेक्शन अच्छा है लेकिन टाइटल सॉन्ग को शायद उन्होंने बहुत जल्दी और गलत जगह इस्तेमाल किया है। फिल्म के डायलॉग्स इमोशनल करने वाले हैं और लोकेशंस बेहद खूबसूरत हैं। और अंत में, एक था राजा एक थी रानी दोनों मर गए खत्म कहानी लेकिन इस कहानी और फिल्म दोनों को वह राजा यानी की सुशांत पूरी करता है।
क्यों देखें: अपनी आखिरी फिल्म के आखिरी सीन में भी सुशांत ने अपने फैन्स को उन्हें हंसते हुए याद रखने का संदेश दे दिया है। यह फिल्म सुशांत के लिए सच्ची श्रद्धांजलि है इसलिए मिस न करें।