तीन किलोमीटर पैदल चलकर जाने वाली लाडली हिना ने 91.6 प्रतिशत अंक प्राप्त कर रचा इतिहास।
रिपोर्ट- जसवंत सिंह सुरावत
आसींद- कहां तक फैल आओगे अंधेरे का आलम, हम दीप से दीप जलाने चली हैं। बस यूं ही रुखा सुखा खाकर बाबुल के घर पलने वाली बेटियां जब दुनिया में अपने हुनर से माता पिता का नाम रोशन करती हैं। तब जाकर बेटियों पर फक्र होता है। हालांकि आजकल बेटा बेटियो में फर्क नहीं दिखाई देता है। जब से बेटियों को अवसर की समानता मिली है। तब से उन्होंने दुनिया के सामने चौकाने वाली नज़ीरे प्रस्तुत की है। जिले के करेड़ा तहसील के किड़ीमाल गांव के सरकारी विद्यालय के 12वीं कला संकाय की होनहार लाडली बेटी हीना सालवी ने 91.6 प्रतिशत अंक प्राप्त कर कीर्तिमान स्थापित किया है। अनुसूचित जाति वर्ग की होनहार लाडली हीना के पिता बिरदीचंद प्राइमरी शिक्षक,माता सुमित्रादेवी ग्रहणी दादा अनपढ़ किसान ताऊ बंसीलाल राजस्थान पुलिस में निरीक्षक पद पर कार्यरत है। हिना अपने गांव रामपुरिया नारेली के नजदीक 3 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल से आना जाना और अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना प्रारंभ से ही लगन रही है। गांव में सीनियर सेकेंडरी स्कूल नहीं होने की वजह से उन्हें दूर जाना पड़ता था। हिना भविष्य में प्रशासनिक सेवा में जाकर राष्ट्र के प्रगति और उत्थान के हिस्सेदार बनना चाहती है। हिना ने भीम प्रज्ञा को बताया कि अपनी सफलताओं का श्रेय माता-पिता व गुरुजनों को देती है लेकिन व अपने ताऊ बंसीलाल से बड़ी प्रेरित होकर प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहती है। क्योंकि प्रशासनिक अधिकारी के सिग्नेचर पावर बड़े ताकतवर होते हैं। जो अपने ताऊ को फाइलों पर सिग्नेचर करते हुए देख चुकी है। इसलिए अपने सिग्नेचर और नेचर दोनों को ठीक करने के लिए कड़ा परिश्रम करती रहती है। वह एक दिन अपनी काबिलियत का उदाहरण प्रस्तुत कर ही दम लेगी। उन्होंने बताया की इतनी सी परसेंटेज लाना उनके लिए खुशी की बात नहीं है। उनकी खुशी के लिए बड़ा लक्ष्य है। जिसके लिए वे संघर्ष करना शुरू कर रखा है। हमारी टीम ऐसे सक्षम और बहादुर बेटियों के बहादुर लक्ष्यों और उद्देश्यों की भूरी भूरी प्रशंसा करती है। भविष्यलक्षी परिणामों की अग्रिम बधाइयां।