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शिव जी शमशान निवासी हैं। भूत-प्रेत पशु-पक्षी कीट-पतंगे सभी शिव के भक्त हैं। इसलिए उन्हें पशुपतिनाथ भी कहा जाता है। भगवान शिव से जुड़े हुए रहस्य अत्यन्त गूढ़ हैं। जानते हैं कि कौन हैं शिव जी के गण और गणेश जी को क्यों कहा जाता है गणपति..
कहा जाता है कि इनके शरीर में अस्थिपंजर नहीं होता था। इनका आकार अजीब, विचित्र होता था। इनकी भाषा समझ में नहीं आती थी। ये बस कोलाहल करते रहते थे। सिर्फ शिव जी ही उन्हें समझ सकते थे। लेकिन शिवपुराण में उनके कुछ गणों के बारें में बताया गया है। भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, जय, विजय और आदि को शिव का गण कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है गणेश जी को गणपति
जिसके बाद स्वंय शंकर जी वहां आए लेकिन गणेश जी ने उन्हें भी अंदर जाने से रोक दिया जिससे शिव जी को क्रोध आ गया और उन्होंने बालक गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया, पार्वती जी जब बाहर यााआईं तो अपने पुत्र को देखकर बहुत क्रोधित हो गईं भगवान शंकर ने अपनी भूल को सुधारने के लिए और पार्वती जी के क्रोध को शांत करने के लिए उनके सिर पर हाथी का सिर लगा दिया।
कि शिव जी ने जिस हाथी का सिर गणेश जी को लगाया था वह भगवान शंकर का गण था। इसलिए गणेेश जी को गणपति कहा जाता है।
गणेश जी को गणपति इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि उन्हें गणों का स्वामी माना गया है।
शिव जी शमशान निवासी हैं। भूत-प्रेत पशु-पक्षी कीट-पतंगे सभी शिव के भक्त हैं। इसलिए उन्हें पशुपतिनाथ भी कहा जाता है। भगवान शिव से जुड़े हुए रहस्य अत्यन्त गूढ़ हैं। जानते हैं कि कौन हैं शिव जी के गण और गणेश जी को क्यों कहा जाता है गणपति..
कहा जाता है कि इनके शरीर में अस्थिपंजर नहीं होता था। इनका आकार अजीब, विचित्र होता था। इनकी भाषा समझ में नहीं आती थी। ये बस कोलाहल करते रहते थे। सिर्फ शिव जी ही उन्हें समझ सकते थे। लेकिन शिवपुराण में उनके कुछ गणों के बारें में बताया गया है। भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, जय, विजय और आदि को शिव का गण कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है गणेश जी को गणपति

गणेश जी
– फोटो : SOCIAL MEDIA
जिसके बाद स्वंय शंकर जी वहां आए लेकिन गणेश जी ने उन्हें भी अंदर जाने से रोक दिया जिससे शिव जी को क्रोध आ गया और उन्होंने बालक गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया, पार्वती जी जब बाहर यााआईं तो अपने पुत्र को देखकर बहुत क्रोधित हो गईं भगवान शंकर ने अपनी भूल को सुधारने के लिए और पार्वती जी के क्रोध को शांत करने के लिए उनके सिर पर हाथी का सिर लगा दिया।
कि शिव जी ने जिस हाथी का सिर गणेश जी को लगाया था वह भगवान शंकर का गण था। इसलिए गणेेश जी को गणपति कहा जाता है।
गणेश जी को गणपति इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि उन्हें गणों का स्वामी माना गया है।